2005 में कैमरा खराब हो जाने के बाद मैंने छायाकारी छोड़ दी थी; 2009 से मोबाइल के कैमरे से मैंने फिर शुरुआत की. कुछ तस्वीरें मेरे सुपुत्र अभिमन्यु की भी खींची हुई हैं.
शनिवार, 1 दिसंबर 2012
रविवार, 11 नवंबर 2012
शनिवार, 20 अक्तूबर 2012
मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012
पनार के तट पर
पनार एक नदी है- अररिया शहर के किनारे से बहती है.
2009 की विजयादशमी के रोज हम उस नदी के किनारे गये थे- दुर्गा माँ का विसर्जन देखने के लिए.
वहीं की कुछ तस्वीरें-
मैं अपने 12 वर्षीय बेटे अभिमन्यु को लैण्डस्केप फोटोग्राफी के गुर बता रहा था. हमदोनों ने एक ही स्पॉट से एक-एक तस्वीर खींची. अब मैं अनुमान नहीं लगा पा रहा हूँ कि कौन-सी मेरी तस्वीर है और कौन-सी अभिमन्यु की! शायद ऊपर वाली मेरी है और नीचे वाली अभिमन्यु की.
यह तस्वीर अभिमन्यु ने ही खींची- कास का एक फूल एक हाथ में थामकर दूसरे हाथ से. खासियत यह है कि फूल के बीच चाँद भी दीख रहा है. पीछे लोगों की भीड़ दीख रही है, जो दुर्गा-विसर्जन देखने के लिए जुट रही थी.
(विसर्जन की तस्वीरें अगले पोस्ट में)
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